Sanskritik Gaurav Ke Ekanki
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ISBN: 8173151806
राम : सुनो लक्ष्मण! आर्य नारी तारा और मंदोदरी से भिन्न शीलवाली होती है, इसे प्रमाणित करने के लिए सीता को अग्नि-परीक्षा देनी ही होगी। लंका भोगवादी, यांत्रिक और आसुरी सभ्यता का केन्द्र रही है। स्वच्छंद-उन्मुक्त विलास ही इस सभ्यता में नारी के जीवन का उपयोग है। ऐसे परिवेश में नारी के व्यक्तित्व का पूर्ण विकास संभव नहीं।...
...समाज की मर्यादा व गरिमा का मूलाधार है नारी का पवित्र शील; वही समाज की सुव्यवस्था और सुप्रगति का अमोघ साधन है। इसीलिए नारी के सात्त्विक शील का, बहुमुखी पारिवारिक एवं सामाजिक संबंधों के रूप में, विकास हमारी संस्कृति में अभीष्ट रहा है।
—इसी संकलन से
आधुनिक भारत के मनन-मन्दिर में हमारी प्राचीन संस्कृति के महान् आदर्शों और सनातन मानव-मूल्यों की प्राण-प्रतिष्ठा करते हैं ये एकांकी।
भारतीय संस्कृति के गौरव की इन नाटकीय झलकियों में साक्षात्कार है इस सत्य का कि हमारी सांस्कृतिक महानता का आधार है—सादा जीवन उच्च विचार, साथ ही त्याग, सेवा व सत्कर्मों की प्रधानता।
पुराण-पुरुषों तथा अवतारी महापुरुषों के जीवन की प्रेरक झलकियों में प्रस्तुत है हमारे सनातन जीवन-मूल्यों का पुनरावलोकन—