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Aitihasik Prashthabhoomi Ke Ekanki

Aitihasik Prashthabhoomi Ke Ekanki

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ISBN: 8173152020

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मेजर मीड : महाराज, सुनने में आया है कि तात्या साहब ने आपके यहाँ संरक्षण ग्रहण किया है?...आपको ज्ञात होगा कि तात्या राजद्रोही है और उसे पकड़ने के लिए हमारी सेनाएँ एक साल से उसके पीछे लगी हुई हैं।
मानसिंह : ज्ञात है, पर जब तक वह मेरे आतिथ्य में हैं तब तक उन्हें कोई नहीं पकड़ सकता।
मेजर मीड : अच्छी तरह सोच लीजिए, मानसिंह जी! राजद्रोही को रखना सरकार से बैर मोल लेना है।...कोरी भावुकता में न बहिए, मानसिंह जी! मैं आपके हित में कह रहा हूँ—तात्या को मेरे हवाले कर दीजिए। इससे सरकार आपको बहुत सा पारितोषिक देगी। राज-कर से आप मुक्‍त कर दिए जाएँगे और आपका राज्य भी एक स्वतंत्र व स्थायी राज्य बना दिया जाएगा।
मानसिंह : मैं इन प्रलोभनों से अपने कर्तव्य को अधिक महत्त्व देता हूँ, मीड साहब! मैं तात्या साहब को कभी आपके हवाले नहीं कर सकता।
मीड : लेकिन इसका परिणाम सोचा है?
मानसिंह : हाँ, इस नश्‍वर शरीर से मुक्‍ति; और यही क्षत्रिय के लिए वरदान है।
—इसी संकलन से
समय के सागर में अटल-अचल भारत-गौरव के विराट् शैल-शिखर, जिन्हें देखकर आज भी हमारा मस्तक गर्व से आकाश तक ऊँचा उठ जाता है और हमारी महान् परम्परा तथा अमर आदर्शों के ग्रह-नक्षत्र हमारा आह्वान करते हैं, उत्कर्ष की ऊँचाइयों की ओर।
भारतीय संस्कृति की गौरव-गंगधार में आए गतिरोध को सदैव निरस्त करनेवाले अपने स्वर्णिम इतिहास के रत्‍नांकित अध्याय प्रस्तुत हैं, बहुरंग-रसमय नाटकीय संदर्शन में—
ऐतिहासिक पृष्‍ठभूमि के एकांकी

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