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Bhoomikamal

Bhoomikamal

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ISBN: 9789380186023

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नीलेंदु का वह भयावह प्रलाप, ‘देख लूँगा! तुम सब बदमाशों को एक-एक करके सबक नहीं सिखाया तो मेरा नाम नहीं!’
सुरम्या मौसी के नवरात्र व्रत का अंतिम दिन था वह। बुझी हुई हवन-वेदिका सी वह काया उपासना कक्ष के बीच निश्‍चेष्‍ट पड़ी थी।

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