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Vikas Ka Vishwas

Vikas Ka Vishwas

Availability: In stock

ISBN: 9789380823355

INR 300/-

विकास का विश्‍वास—मृदुला सिन्हासमाज की आवश्यकताओं के अनुरूप जो कल्याणकारी या विकासात्मक योजनाएँ बनती हैं, वे जरूरतमंदों तक पहुँच नहीं पातीं। माध्यम बने सरकारी तंत्र या स्वैच्छिक क्षेत्र अपनी विश्‍वसनीयता बनाने में अक्षम रहे हैं, इसलिए अरबों रुपया पानी की तरह बहाकर भी सरकार और जनता के बीच विश्‍वसनीयता का संकट गहरा रहा है।

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