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1000 Vigyan Prashnottari

1000 Vigyan Prashnottari

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ISBN: 9788177212785

INR 300/-

आरंभ से ही मानव स्वभाववश खोजी प्रवृत्ति का रहा है । उसके मस्तिष्क में सवाल कौंधते रहे हैं-यह क्या है, कैसे है, क्यों है आदि । ऐसे ही सवालों से जूझने का नाम विज्ञान है । सवालों की तह में जाने की कोशिश से ही हम जान पाते हैं कि हमारी पृथ्वी पर कभी डायनासोर जैसे विशाल सरीसृप का राज हुआ करता था तथा पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती हैं, न कि सूर्य पृथ्वी की- और ऐसे ही अनंत सवाल हैं, जो विज्ञान ने हमारे समक्ष रखे हैं ।

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