Janiye Hind Mahasagar Ko
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ISBN: 8173156662
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मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ उसके जीवन में सागरों का महत्त्व भी बढ़ता गया। आज, जब उसने कल्पनातीत प्रगति कर ली है तो उसे यह आभास होने लगा है कि उसकी अनेक भौतिक समस्याओं, यथा—खाद्य, आवास, कच्चा माल, ऊर्जा की आपूर्ति आदि—के हल उसे सागर में ही मिल पाएँगे। थल, जो पृथ्वी का मात्र 29.2 प्रतिशत भाग ही है, उनके हल उपलब्ध कराने में असमर्थ होता जा रहा है।