Samarpan Capt. Rakesh Sharma Smriti Mahakavya
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ISBN: 9789384344320
INR 350/-
भद्र पुरुष्! तेरी जीवन-कथा को श्रवणरन्ध्रों से श्रवण करने के साथ-साथ कवि ने स्वयं नयनावलोकित भी किया है। आद्योपान्त शौर्य, पराक्रम एवं वीरता की प्रतिमूर्ति, राष्ट्रनिष्ठा, देशधमर्ता एवं स्वकर्तव्य-परायणता से युक्त निर्भयतापूर्ण मातृभूम की आन, बान, शान एवं अस्मता के साथ ही राष्ट्रीय नवोन्मेष्ा को दृष्टगोचर करते हुए अपनी माँ-बहनों की लाज-लज्जा एवं उनके अबोध नन्हे-मुन्ने बाल वत्सों के सहायतार्थ स्वतंत्रता का दीवाना है।