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Rashtra-Rishi Nanaji

Rashtra-Rishi Nanaji

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ISBN: 9788173159640

INR 300/-

यह गाथा वैदिक युग में अस्थिदान करने वाले दधीचि की नहीं है, बल्कि उस दधीचि की है, जिसे हमने अपनी आँखों देखा, अपने कानों सुना, जिसकी सुदीर्घ राष्ट्र-साधना के हम साक्षी हैं, जिसकी ऊष्मा का हमें स्पर्श मिला। इस दधीचि ने अपने जीवन का तिल-तिल, क्षण-क्षण राष्ट्रीय नवोन्मेष के लिए होम किया, जगह-जगह सर्वांगीण विकास के दीपस्तंभ खड़े किए और अंत में अपनी तपोपूत देह को शोध के लिए दान कर दिया।

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