Ek Aviram Yatra
Availability: In stock
ISBN: 9788173159008
INR 450/-
श्वर ने प्रत्येक मनुष्य के जीवन का एक लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। इस लक्ष्य तक पहुँचने का प्रयत्न करते रहना मनुष्य का धर्म है। ऐसा कहाँ होता है कि सबको सबकुछ इच्छानुसार उपलब्ध हो जाए। नियति पर मनुष्य का कोई नियंत्रण नहीं है। प्रारब्ध के अनुसार जो मिले, उसी में संतुष्ट रहते हुए उसे क्रमश: अधिकाधिक सुंदर बनाने का पुरुषार्थ करना अवश्य मनुष्य के हाथ में है। सतत पुरुषार्थ, अनथक परिश्रम और समर्पण भाव के साथ जनसेवा का कार्य करनेवाली जयवंतीबेन मेहता ऐसी ही एक विभूति हैं, जिनके मन ने आराम कर लेने अथवा काम को विराम देने के विचार को छुआ तक नहीं।