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Wah Zindagi

Wah Zindagi

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ISBN: 9789351867203

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‘तुम यहाँ हो! मैं तो तुम्हें अंदर ढूँढ़ रही थी।’ इतने में कृतिका मुझे ढूँढ़ती बाहर चली आई।
‘यह क्या हाल बना रखा है तुमने अपना?’ और वह खिलखिलाकर हँस दी।
तभी दोनों बच्चे भी स्कूल जाने के लिए बाहर आए और कृतिका को हँसते देख वे भी मुझे देख हँसने लगे।

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