Pravas Mein
Availability: In stock
ISBN: 9789387968721
INR 300/-
कहानीकार का संवेदन संस्कार के रूप में अपने परिवेश को ग्रहण करता है । वह उसी में जीता है, साँस लेता है । प्रवासी लेखक अपने घर-परिवार, देश और मिट्टी से अलग होकर एक अन्य देश-काल और परिवेश में चला जाता है । वहाँ उसके नए संस्कार बनते हैं, नए दृष्टिकोण बनते हैं ।