प्रस्तुत कहानी-संग्रह में कुल इक्कीस कहानियाँ संगृहीत हैं। प्रत्येक कहानी जीवंत अनुभव है। इनके संदर्भ हैं— व्यक्ति, परिवार और समाज। ये एक-दूसरे की रचना करते हैं और एक-दूसरे का निर्माण भी। यों तो विश्व के सभी समाजों में परिवार महत्त्वपूर्ण होता है, पर भारतीय यनज में इसका योगदान अछा है । पइरवार में परस्पर सहयोग अथवा असहयोग की स्थितियाँ होती हैं, जो परिवार का ग्हन-सहन सँवारती और बिगाड़ती हैं, जिनके प्रभाव से व्यक्ति और समाज प्रभावित होते ही हैं । अतएव परिवार का महत्त्व सर्वाधिक है । परिवार के सदस्य एक-दूसरे से कुछ अपेक्षाएँ रखते हैं, जिनकी पूर्ति से आनंद का सर्जन होता है और पूरा न होने पर पीड़ाएँ जन्म लेती हैं । भारतीय परिवारों का पारंपरिक परिवेश आज बदल रहा है । बदलते परिवेश में परिवार के सदस्यों के परस्पर ' रिश्ते ' भी बदल रहे हैं । प्रस्तुत हैं उन्हीं बदलते हुए रिश्तों की अनूठी और हृदयस्पर्शी कहानियाँ । इन्हें पढ़कर पाठकगण प्रेम, विश्वास, संबंधों के यथार्थ और भावनाओं के आलोड़न-विलोड़न का दिग्दर्शन करेंगे ।