Seerhiyan
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ISBN: 9789380186351
INR 225/-
“...क्या आप भी वाल्मीकि—पत्नी जैसी ही हैं, जिसे केवल पति की कमाई से मतलब होता है, चाहे वह चोरी, डकैती या हत्या से ही क्यों न आई हो?” “तुमने उसे पैसे का महत्त्व समझाया होगा। प्रेम और सद्भावना का महत्त्व क्यों नहीं समझाया!” “उन लोगों पर मुझे गुस्सा आ रहा था।