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VAH EK AUR MAN...

VAH EK AUR MAN...

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ISBN: 9789390378975

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ये ज़रूरी नहीं कि सबका सच एक हो जाए, 
सबके अहसासात एक हो जाएँ, 
सबके नज़रिए, 
सबके फलस़फे एक हो जाएँ

न मैं अपने जज़्बों को खुद थाम पाया

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