पत्ते, पतझर, मलय पवन कोंपल, कोयल, भ्रमर, सूर्य-किरण, ओस बिंदु, इंद्रधनुष, तितली-पंख, मेहँदी, मृगछौना आदि उन्हें प्रभावित करते हैं या इन्हें वे प्रतीकों के रूप में इस्तेमाल करती हैं।
पत्ते, पतझर, मलय पवन कोंपल, कोयल, भ्रमर, सूर्य-किरण, ओस बिंदु, इंद्रधनुष, तितली-पंख, मेहँदी, मृगछौना आदि उन्हें प्रभावित करते हैं या इन्हें वे प्रतीकों के रूप में इस्तेमाल करती हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि उषा का यह द्वितीय काव्य-संग्रह भी चर्चित और प्रशंसित होगा। अनुजावत् अपनी प्रिय शिष्या को पुनः स्नेहाशीष।