close

Shabda Kuchh Kahe-Ankahe Se…

Shabda Kuchh Kahe-Ankahe Se…

Availability: In stock

ISBN: 9789353221485

INR 300/-
Qty

कविता किसी कवि या रचनाकार को केंद्र में रखकर नहीं लिखी गई होती, वह अपने समय और साहित्य दोनों की कथावस्तु को अपने में समाहित करते हुए प्रतिरोध की संस्कृति को नया आयाम प्रदान करती है।

close