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ISBN: 978-93-263-5229-1
आधुनिक ज्ञान-विज्ञान की भाषा के रूप में विश्व मंच पर प्रतिष्ठित होने के लिए संघर्षरत हिंदी कई देशों में विश्वविद्यालय स्तर पर पढ़ाई जा रही है, बड़ी संख्या में विदेशी उससे जुड़ रहे हैं। उन लोगों की कठिनाइयों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया कोई शब्दकोश हिंदी में उपलब्ध नहीं है। ‘वर्धा शब्दकोश’ इस अभाव को दूर करने का महत्वपूर्ण प्रयास है। व्यापक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से विचार कर इसमें शामिल शब्दों का चयन तथा उसके अर्थों का निर्धारण किया गया है। बातचीत में अक्सर प्रयुक्त होने वाले शब्द प्राथमिकता के आधार पर शामिल किए गये हैं भले ही लिखित रूप में उनका प्रयोग कम मिलता हो। कहना न होगा कि शब्दों की सार्थकता प्रयोग में है, वहीं से उन्हें शक्ति मिलती है। परंपरागत हिंदी शब्दकोशों से कई अर्थों में अलग ‘वर्धा शब्दकोश’ में अपनाये गये वर्णक्रम को यूनीकोड के अनुरूप रखते हुए अधिकाधिक वैज्ञानिक बनाने का प्रयास किया गया है। शब्द के एक से अधिक अर्थ होने पर पहले सबसे अधिक प्रचलित और फिर कम प्रचलित अर्थ का क्रम रखा गया है। इसी प्रकार शब्द का नया प्रचलित अर्थ पहले और पुराना अर्थ बाद में दिया गया है। अँग्रेजी शब्दों के सम्बन्ध में हिंदी शब्दकोशों में फैली अराजकता से ‘वर्धा शब्दकोश’ प्राय: मुक्त है। ऐसे शब्दों के हिंदी में प्रचलित रूपों को ही यहाँ मानक रूप में स्वीकार किया गया है। उनके उच्चारण तथा लिंग-निर्धारण की दृष्टि से भी अधिकाधिक निर्दोष तथा निभ्र्रांत रूप में प्रस्तुति इसका निजी वैशिष्ट्य है। शब्दों की व्याकरणिक कोटि के स्पष्ट संकेत के साथ ही प्रयोक्ता की सुविधा के लिए उच्चारण के नियमों की जानकारी इसके साथ अन्य आकर्षण हैं। विदेशी अध्येताओं और जिज्ञासुओं की कठिनाइयों के निवारण में इसकी उपादेयता असंदिग्ध है। निश्चय ही, हिंदी की जागृत तथा आंतरिक शक्ति के जीवंत वेग का परिचय देने में समर्थ ‘वर्धा शब्दकोश’ एक मॉडल के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त कर अपनी सार्थकता प्रमाणित करेगा।
Hastech
Review by Hastech
Posted on 11/6/2018