रवींद्रनाथ टैगोर के दर्शन और संदेश की व्याख्या करते हुए यह पुस्तक दर्शन, धर्म और कला के भारतीय आदर्श की व्याख्या करती है। यह उनकी रचना का परिणाम और अभिव्यक्ति है। यह ज्ञात नहीं है कि यह रवींद्रनाथ का अपना हृदय है या भारत का हृदय, जो यहाँ धड़क रहा है। उनकी रचना में भारत को वह खोया शब्द मिला, जिसकी वह तलाश कर रहा था। भारतीय दर्शन और धर्म के चिर-परिचित यथार्थों के मूल्यों की आलोचना करना अब एक फैशन बन गया है, लेकिन उनकी चर्चा यहाँ इतने सम्मान और अंतर्मन से की गई है कि उनमें एक नयापन दिखता है। भारत की आत्मा से डॉ. राधाकृष्णन का परिचय रवींद्रनाथ टैगोर के लिए प्रेरणा का स्रोत है, और उससे इस वर्णनात्मक रचना में उन्हें सहायता मिली है।
गुरुदेव टैगोर के दर्शन की व्याख्या के माध्यम से उनके हृदय में बसे भारत, उसकी संस्कृति, उसके गौरवशाली अतीत की मनोरम झाँकी प्रस्तुत की है डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने।