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Everest Par Tiranga

Everest Par Tiranga

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ISBN: 9789350482230

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मैंने एक-एक सेकंड जो वहाँ पर गुजारा, मुझे अच्छी तरह याद है। अंततोगत्वा मैं दुनिया के सबसे ऊँचे शिखर पर था। वहाँ पर भगवान् बुद्ध की एक मूर्ति रखी हुई थी। मैंने झुककर उसे प्रणाम किया। जैसे ही मैंने सिर उठाया, अपने जीवन का सबसे अद‍्भुत सूर्योदय देखा। यहाँ से सूर्य भी हमसे नीचे दिख रहा था और जैसे-जैसे वह ऊपर उठा, हरेक पहाड़ की चोटी, जो बर्फ से ढकी थी, सोने की तरह चमकने लगी। मीलों तक हमारी दृष्‍टि के लिए कोई बाधा नहीं थी। मैं पृथ्वी की वक्राकार सतह को देख सकता था।

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